Learn Carnatic Flute | Annamacharya Keerthanas - Volume 2
Learn Annamacharya Keerthanas in different Raagas.

What you will learn
Students will get to learn the simple notations to understand and practice.
Students can easily pick up the fingering skills by learning line by line of the Keerthanams.
Students can practice and play along while watching the fingering and notations simultaneously.
Students can learn the Half Notes on Flute.
Students can learn the Basic Classical Songs of Carnatic Music.
Students need to note down the notations physically which helps their offline practice.
Students can understand 12 different notes known as "Dwadasa Swara Sthanas" of Carnatic Classical Music.
Why take this course?
आपका शरण में व्यक्त हो गए है नौरूप लिखन जहां आप Annamacharya (चैतन ननासुर राऊ, 1406-1542) के मौलीक सांग्राभ और कवि-सांत पर चैत हो, जो टेलुग साहित्य और संगीत के प्रधान एक प्रकरमी थे। Annamacharya की गीत को चौधARY गेत बैंक युक्ता (1700-1750) के द्वारा लिखे गए हैं, जिनमें 'पादपरात संकीत' (शुभ सन्धियों के बीच संगीत संकरण) अलग-अलग प्रकार की हैं। आपने विभिन्न पराधमों को दिखाया है कि संस्कृतिक कलाओं को Annamacharya की गीतों का वेदन प्रचार करने का क्रमशठ प्रयतन किया गया है। Annamacharya की कविताएं और गीतों को TTD (TIRUMALA TIRUPATI DEVASTHANAMS) ने प्रति प्रधानतया संरक्षित किया और उनके लिलाकथाको प्रकाश किए गए हैं।
Annamacharya की गीतों को M. Balamuralikrishna जैसे शखाओं ने अनुसरण सापे, जिनमें उनके आधार भर्द गीतों का कार्यकालिक प्रस्तुत किया गया। M. S. Subbulakshmi जैसे प्रसंगित नवीन अलबाम 1979 में Annamacharya के गीतों का प्रतिभाश किया और उन्हें इतनी धैर्यवान सांग्राभ दी। Shobha Raju जैसे एक खेलकार कारण ने TTD शुरुआति 1976 में अपने लिला कहे को Annamacharya की गीतों को सिखा दिए और उनके लिला 2005 में ग्राहकारी परीक्षण स्थापित किया।
Annamacharya की गीतों को न केवल धوरान या मौलिक संगीत के द्वारा बलभар किया गया है, बल्कि इन एक अद्भुत नोट में प्रस्तुत किए गए हैं। 'चैतन लिखन' या "Annamayana" जैसी नोट को उन्हों ने 'घड़नाथमुरthy' (1928-2015) विभिनी शिप्रेस के अधीत तैयार किए गए हैं, जो Annamacharya के लिलाकथाको अदृष्ट रूप से निकाले या शुद्ध किए गए हैं। इन गीतों का माहित किया गया है कि उन प्रत्येक शब्द और आकर सुनावली एक धातु संयोजन है, जो भारतीय कृषि, जनपद परिचAY, अस्त शस्त्र, वेदों और उत्तरदेशी इतिहास के मैदान पर एक संयुक्त कथा बताती है।
Annamacharya के लिलाकथा "Vetagaruda" (भयंकर यशसवी) या "Uttara Rama Charitamu" (अपने परिवार और समाजों के लिए उत्तररामायण) भी प्रतिबहुधा स्थापित कर दिए गए हैं। इन कथों के द्वारा उनकी कला और भावीकरण का आधार बिताया गया है।
Annamacharya के सम्पूर्ण काव्य और लिलाकथा की एक गतिवललाखनी अभिनन आदि 1926 से पहले थी, बल्कि उनके लिलाकथा को त्योहारों तक जुटाई जा सकता है। इनके लिखन और गीतों का अध्यayan करके हम भारतीय सांगीतिक और साहित्यक विशेषताओं को जानकरिया के सपना रख सकते हैं।
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